Basic Education Department

कक्षा दो तक के बच्चे क्षेत्रीय भाषाओं में ही करेंगे पढ़ाई, पाठ्यक्रम हो रहा तैयार

अब स्थानीय भाषाओं में भी पढ़ेंगे बच्चे, तैयार की जा रही हैं पुस्तकें

बच्चे कैसे सरलता से किसी विषय को समझ और पढ़ लें, इसके लिए अब स्थानीय भाषा में ही शिक्षण सामग्री तैयार की जा रही है। इसमें पुस्तक के अलावा ऑडियो होगा, इसमें भोजपुरी, अवधी, ब्रज, बुंदेली भाषाओं में कहानियां, कविताएं आदि शामिल रहेंगी। 

राज्य हिंदी संस्थान इस तकनीक को विकसित करने में लगा है। तैयार होने के बाद इसे प्रदेशभर के परिषदीय स्कूलों में लागू किया जाएगा। संस्थान की निदेशक डॉ. ऋचा जोशी ने बताया कि पाठ्यक्रम आधारित शिक्षण सामग्री तैयारी की जा रही है। स्थानीय भाषा में पुस्तकें तैयार की जा रही हैं। इसके बाद स्थानीय भाषाओं में ऑडियो तैयार होंगे। पांच-पांच विषय विशेषज्ञ बुलाए जाएंगे।

स्थानीय भाषाओं में पढ़ाई के प्रति रुचि जगाने के साथ ही लुप्त हो रही भाषाओं का भी संरक्षण होगा। शिक्षकों को भी पढ़ाने में कोई दिक्कत नहीं होगी। जहां भी जाएंगे, उन्हें ये सामग्री मिल जाएगी। – डॉ. ऋचा जोशी, निदेशक, राज्य हिंदी संस्थान उत्तर प्रदेश
कक्षा दो तक के बच्चे क्षेत्रीय भाषाओं में ही करेंगे पढ़ाई, पाठ्यक्रम हो रहा तैयार

लखनऊ । प्रदेश में नए सत्र से कक्षा दो तक के बच्चों को क्षेत्रीय बोलियों में ही पढ़ाया जाएगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में इसकी जोरदार वकालत की गई है। कहा गया है कि प्रारम्भिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम घर में बोली जाने वाली भाषा, मातृ भाषा या स्थानीय भाषा का प्रयोग ही सबसे अधिक उपयोगी है।

Children up to class two will study in regional languages only.


जब बच्चे विद्यालय जाते हैं तो भाषा सीखने में असहज हो जाते हैं क्योंकि विद्यालय की मानक भाषा तथा घर व आसपास बोली जाने वाली भाषा अलग होती है लेकिन जब शिक्षक बच्चों से उनकी मातृभाषा या उनके आसपास बोली जाने वाली भाषा में बातचीत करते हैं तो बच्चों के लिए ज्ञान प्राप्त करना सरल, सहज और आनन्दमयी हो जाता है। इसी को ध्यान में रखकर सरकार क्षेत्रीय बोलियों में बच्चों के लिए पाठ्यक्रम तैयार कर रही है।

क्या कहते हैं जिम्मेदार

एससीईआरटी के संयुक्त निदेशक पवन कुमार कहते हैं-‘ इन शब्दकोषों में स्थानीय बोलियों के प्रचलित शब्दों को समाहित किया गया है। यह शिक्षकों और बच्चों के लिए भी उपयोगी होगी। इसके द्वारा शिक्षक बच्चों में सीखने की गति एवं कौशल को बढ़ाने में सक्षम बन सकेंगे। ‘

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