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शब्दकोश तैयार, 76 हजार देशज शब्दों को संजीवनी, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के स्तर से शब्दकोश का जल्द होगा विमोचन, राज्य शिक्षा संस्थान ने बच्चों के लिए बनाया शब्दकोश

कवायद : शब्दकोश तैयार, 76 हजार देशज शब्दों को संजीवनी, राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (SCERT) के स्तर से शब्दकोश का जल्द होगा विमोचन

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● राज्य शिक्षा संस्थान ने बच्चों के लिए बनाया शब्दकोश

प्रयागराज : राज्य शिक्षा संस्थान ने 76 हजार देशज शब्दों को सहेजने की उपलब्धि हासिल की है। संस्थान के विशेषज्ञों ने ब्रज, भोजपुरी, अवधी और बुंदेली भाषाओं का शब्दकोश (डिक्शनरी) तैयार किया है जिसके माध्यम से बच्चों को क्षेत्रीय भाषा में पढ़ाने में मदद मिलेगी। यह अनूठी डिक्शनरी छपने के लिए प्रेस में चली गई है और राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) के स्तर से जल्द विमोचन की तैयारी है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में छोटे बच्चों की शिक्षा के लिए मातृभाषा पर विशेष बल दिया गया है। क्योंकि बच्चे अपनी मातृभाषा में अवधारणाओं को तेजी से सीखते और समझते हैं।

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संस्थान के प्राचार्य नवल किशोर ने बताया कि मातृभाषा में शिक्षा देने से जटिल विषयवस्तु भी सरल लगने लगती है। घर की भाषा में पला-बढ़ा बच्चा जब स्कूल जाता है तो भाषा के स्तर पर वह असहज महसूस करता है। जब शिक्षक मातृभाषा में उससे बात करते हैं तो वह अपनत्व की भावना से भर जाता है। ज्ञान प्राप्त करने में उसे आनन्द आने लगता है। उसे रस मिलता है और निर्भीक होकर शिक्षक तथा शिक्षण से तादात्म्य स्थापित कर लेता है। संस्थान की सहायक उपशिक्षा निदेशक डॉ. दीप्ति मिश्रा ने बताया कि ब्रज भाषा के सर्वाधिक लगभग 22 हजार शब्दों को संरक्षित किया गया है। भोजपुरी शब्दकोश में अठारह हजार शब्द जबकि अवधी और बुंदेली में क्रमश सत्रह और उन्नीस हजार शब्दों को संकलित किया गया है।

भाषा की शिक्षा देने में सहूलियत होगी

डॉ. दीप्ति मिश्रा के अनुसार हमारे समाज में शब्दकोश केवल अभिदेश ग्रंथ माने जाते हैं, लेकिन एक अच्छे व्याकरण की तरह अच्छा शब्दकोश भी लोगों को भाषा की शिक्षा देने में बहुत अधिक सहायक होता है। शब्दकोश की मदद से दूसरे भाषा क्षेत्र के शिक्षक बच्चों को उनकी बोली में विषय को अच्छी तरह से समझा पाएंगे।

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