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‘गुरुकुल’ की प्रतिष्ठा को बढ़ा रहे नवाचारी गुरुजी

‘गुरुकुल’ की प्रतिष्ठा को बढ़ा रहे नवाचारी गुरुजी

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तस्मै श्री गुरुवे नमः

बीते कुछ वर्षों में परिषदीय विद्यालयों के प्रति अभिभावकों का विश्वास बढ़ा है। इसका श्रेय नवाचारी शिक्षकों को ही जाता है, जिन्होंने विद्यालय का परिवेश आकर्षक बनाने के साथ ही विभिन्न गतिविधियों के माध्यम से शिक्षण को भी रुचिकर बनाया है। खेल गतिविधियों, स्मार्ट क्लास, लोक नृत्य तो किसी ने पेड़-पौधों को पठन-पाठन का माध्यम बनाया है। इनके प्रयास न सिर्फ सराहे गए, बल्कि विद्यार्थियों का शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ने से विद्यालय की प्रतिष्ठा में भी वृद्धि हुई है। जागरण ने जिले के कुछ ऐसे शिक्षकों से प्रयासों पर चर्चा की। प्रस्तुत है सीतापुर से बद्री विशाल अवस्थी रिपोर्ट… |

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खेल प्रतिभाओं को निखारते राज जिला व्यायाम शिक्षक राज शर्मा के मार्गदर्शन में परिषदीय विद्यालयों के बच्चे एथलेटिक्स, बैडमिंटन व योग आदि में मंडल से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक चमक रहे हैं। इनमें कई बच्चों ने तो पदक भी जीते हैं। राज शर्मा को वर्ष 2008 में जिला व्यायाम शिक्षक की जिम्मेदारी मिली। बच्चों को तैयार कर कबड्डी, खो खो, दौड़, गोला फेंक, चक्का फेंक, भाला फेंक व योग आदि प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग कराते हैं। योग की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक दिलाया। कठपुतली और कहानियों से पढ़ाई

ब्लाक संसाधन केंद्र महोली के एकेडमिक रिसोर्स पर्सन अतन शुक्ल बच्चों को कठपुतली व कहानियों के माध्यम से शिक्षित कर रहे हैं। वह स्वयं कठपुतली तैयार करते हैं। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान में अतन ने शिक्षकों को प्रशिक्षण भी दिया है। बच्चों को शिक्षित करने के नवाचार में कठपुतली ने भी बच्चों को आकर्षित किया। इससे उनमें सीखने की क्षमता का विकास हुआ। अतन को ‘खेल बने हमारी पहचान’ कहानी के लिए राज्य स्तर पर सम्मान भी मिला है।

यहां चलतीं स्मार्ट क्लास महमूदाबाद के प्राथमिक विद्यालय बघाइन में कायाकल्प के सभी मानक पूरे हैं। यहां लैपटाप, एलईडी, डीटीएच व प्रोजेक्टर के माध्यम से स्मार्ट क्लास का संचालन होता है। सभी कमरों में फर्नीचर व पंखा है। पुस्तकालय, हैंडवाशिंग यूनिट, रेनवाटर हार्वेस्टिंग की सुविधा है। चार झूले लगे हैं। सोलर पैनल व इनवर्टर की सुविधा है। साफ-सफाई, हरियाली के साथ किचन गार्डेन है। विद्यालय के शिक्षक उमेश वर्मा हर वर्ष दो माह का वेतन विद्यालय के विकास पर खर्च करते हैं।

पर्यावरण संरक्षण का भी पढ़ा रहे पाठ: पहला का कंपोजिट विद्यालय रसूलपुर शिक्षा के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की सीख दे रहा है। स्मार्ट क्लास में प्रोजेक्टर के माध्यम से बच्चों को शिक्षित किया जा रहा है। शिक्षण अधिगम सामग्री (टीएलएम) का प्रयोग होता है। पर्यावरण संतुलन के लिए यहां अशीक, नींबू, अनार, मोसम्मी, पीपल, बरगद, हरसिंगार, पाम, कटहल, बेला, चमेली, गुलाब, मेहंदी, आंवला व रबड़ आदि के 100 पेड़ लगे हैं। प्रधानाध्यापक सत्यप्रकाश ने बताया कि शिक्षकों के सामूहिक सहयोग से यह संभव हो सका।

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